कहते हैं कि जोड़ियां स्वर्ग से ही बनकर आती है। जिंदगी और मौत का समय भी ऊपर से ही लिखकर आता है, लेकिन ऐसे जोड़े विरले ही होते हैं और जो साथ जीने-मरने की तकदीर लिखवाकर धरती पर आते हैं। ऐसे ही नसीब का भागी बना धर्मपुर उपमंडल के टिहरा क्षेत्र के कोट गांव का दंपती। जिन्होंने एक ही दिन या यह कहें साथ-साथ दुनिया को ही अलविदा कहा। और कोट गांव की कमला देवी (73) के पति श्री पूर्ण चंद पठानिया (81) पूर्व सैनिक भी थे।
पूर्ण चंद पठानिया कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे। 14 मई को कमला देवी को सांस लेने में कुछ तकलीफ हुई तो बेटा सुरेश कुमार पठानिया चिकित्सक लाने के लिए टिहरा गए। आधे घंटे बाद घर पहुंचे तो मां की सेहत ठीक नहीं थी और उनका शुगर लेवल बहुत कम हो चुका था। कुछ ही मिनटों में उनकी मौत हो गई। दोपहर को उनका अंतिम संस्कार किया गया। इसके बाद कमला देवी के पति पूर्व सैनिक पूर्ण चंद पठानिया की तबीयत भी बिगड़ गई तो परिजन उन्हें हमीरपुर ले गए, जहां उनकी मौत हो गई। इसके बाद शाम को उनका भी अंतिम संस्कार किया गया। पुत्र सुरेश पठानिया ने कहा कि माता-पिता को पोती की शादी का इंतजार था।
इस दुखद घटना ने कोट गांव को गहरे शोक में डाल दिया है। यह जोड़ा जीवन और मौत के बंधन से भी ऊपर उठकर आया था, लेकिन इस अलगाव का कोई व्याख्या नहीं है। आसमानी चादर में लिपटे शहीदों को कोट गांव ने श्रद्धांजलि अर्पित की है। आस्था के शिला करके उनका आभास कराया गया है।
कमला देवी और पूर्ण चंद पठानिया को यहां अपना घर मिला था, यहां के लोगों ने उन्हें अपना माना था। शनिवार को उनकी रस्मि संस्कार में कोट गांव के कई लोग शामिल हुए थे। इस दुखद परिस्थिति में उनके परिजनों को आत्मसमर्पण की भावना प्रकट की गई थी।
कमला देवी और पूर्ण चंद पठानिया की आत्मा को शांति मिले। इस दुख की घडी में उनके परिजनों को शक्ति